यु द्ध कभी भी सुखद नही होता। युक्रेन और रूस के युद्ध ने जिस विनाश की बुनियाद रखी है शायद उस से ऊबरने में दशकों लग जाये।और जिसने अपनो को खोया उसकी जिंदगी गुजर जाए।आज कुछ शक्तियां चाहती है कि यह युद्ध हो और दोनों मुल्क तबाह हो जाएं ताकि उसका एक छत्र बादशाहत क़ायम हो। लेकिन,इस स्वार्थपूर्ति में जो निरीह लोग मारे जा रहें, जिनकी दुनिया उजर गयी वे इस पीड़ा को ता उम्र नही भूल पाएंगे।अपने पूरे परिवार को खोए अबोध बच्चे की दर्द और दुनिया के दो मुल्क इस साजिश के शिकार हुए मुद्दे पर सटीक टिपण्णी को बयां करता विनोद आनंद की कविता
यूक्रेन की सड़कों पर
भटकता हुआ एक नन्हा सा बालक
आकर खड़ा होता है
मलवे के ढेर के पास ।
सड़कों पर बिखरे चिथड़े पड़े
लाशो के बीच-
तलाशता है अपने मां बाप को
वह नही जानता
यह महाप्रलय क्यों…?
कल तक यहां था
बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं
सुंदर सा नगर
हरे भरे पेड़
आज वीरान सड़के
उठती हुई धुआं
सडांध लाशों की बदबू !
वह अबोध बालक
भूख से बिल-बिलाता
दूर तक पटी लाशों के बीच
तलाशता है अपने उस भाई को
जो उससे था दो साल बड़ा
सिखाता था उसे
अंगुली पकड़ कर चलना।
पर कुछ भी नही समझ आता उसे
उस चिथड़े बिखडे पड़े उस मांस के लोथड़े में
कौन है उसका भाई
सभी मांस के लोथड़े
टुकड़ो टुकड़ो में तब्दील
एक सा निराकार ।
आंख से टपकता
उस अबोध बालक के खून के आंसू
इतिहास के इस अध्याय पर
वह दोष दे किसको
उस जेलेन्सकी को
जो नाटो का मोहरा बनकर
अपने जिद और अभिमान के लिए
झोंक दिया इस देश को
इस आग में !
या-उस पुतिन की
इस नादानी को
जिसने कुछ शक्तियां के
रचे षड्यंत्र के इस महाविनाश के जाल में
उलझ कर
किया मानवता की हत्या।
नही समझ पा रहा वह अबोध बालक !
क्या करें
किस पर चीखें
किसके लिए रोये
कौन देखेगा उसके आंसू
कौन कराएगा पुचकार कर उसे चुप-!
विवश सा वह अबोध बालक आज भटकता हुआ
शक्तिहीन सा अर्ध बेहोशी की हालत में
बेजान पड़ा
कहर रहा है।
पानी– पानी,भूख भूख
लेकिन दूर तक
कोई नही सुनने वाला
उसके आंसू और क्रंदन…
उस वीरान मालवों में
दब कर रह गयी।
धीरे धीरे बंद हो रहे उनकी आंखें
बेजान हो रहे शरीर
आज इस युद्ध की विभीषिका ने
कलंकित कर दिया
पूरे इतिहास को
जब भी
इसे याद किया जाएगा
तो उस बालक का यह बलिदान
जिसका नही था कोई कसूर
वह था अनजान अवोध
उसके लिए बहायेगा दुनियां आंसू
कोसेगा दुनिया
जेलेन्सकी और पुतिन के इस जिद को
शापित करेगा उस शक्ति को
जिसने
बुना ताना बाना इस युद्ध का
किया दुनिया को
विनाश की आग में
झोकने की साजिश
कभी माफ नही करेगा इतिहास इस कलंकित अध्याय को
जिसने
अपनी सत्ता और भौतिकता के लिए,
झोंक दिया मानवता को आग में
आज इस कुटिल खेल में
रूस और यूक्रेन का कर डाला तबाही
दोनो देशों के सत्ताधारी हुआ शिकार
एक सुनियोजित साजिश का शिकार
चढ़ा इस में
बलिबेदी पर वह लाखों अवोध बालक, उसके परिवार, दोनो देश के सैनिक
समझो पुतिन /जेलेन्सकी
इस साजिश को
रोक दो युद्ध, बचा लो उन अवोध बच्चों को
उस सैनिक को
जिसे उसकी पत्नी मां और बच्चों ने भेजा युद्ध के मैदान में
आंखों में आंसू भर कर कहा
चले आना सही सलामत लौट कर
करूँगा इंतज़ार तुम्हारा
साथ बैठकर खाएंगे हंसेंगे
लेकिन नही आया वह
लौट कर–
समझो अपनी इस तबाही के षड्यंत्र को.
बचा लो अपने वजूद को
जेलेन्सकी समझो रूस तुम्हारा बड़ा भाई है
पुतिन तुम भी समझो अपने छोटे भाई जेलेन्सकीं को
वह भटका तो प्यार से समझाओ
तभी टलेगा यह माहाविनाश का खेल
बचा लो उस अवोध बालक को
उस निरीह लोगों को
उस आबाद नगर को..
मत होने दो उस चाल को कामयाब
जो
खुद महाशक्ति बन दुनिया पर एकछत्र राज के लिए
झोंक दिया तुम्हे
विनाश की आग में
समझो समझो समझो…….