कविता
शिक्षा की ज्योति संस्कृति का संग
कोयलांचल की धरती पर फैला इसका रंग
धनबाद की कोयला नगरी में चमकता एक सितारा विनोद बिहारी महतो नाम है जिसका प्यारा
जहाँ बहती है ज्ञान की गंगा
सजीव होता साहित्य कला विज्ञान
युवाओ को मिलता हैं तकनीकी का ज्ञान
हर क्षेत्र मे है इसकी शान
हमारे कोयलांचल की है यह पहचान
कलाएँ यहाँ बोलतीं हैं रंगो की ज़बान
साहित्य में बसी है आत्मा की जान
हर भाषा हर विधा को मिलता हैं मान
यहाँ का हर छात्र है हमारा स्वाभिमान
कक्षाओं में गूँजती हैं विचारो की बात
लैब से निकलती हैं नवाचार की सौगात
पुस्तकालय की ख़ामोशी भी कहती हैं कहानी
यहाँ हर छात्र करता है अपने सफलता की भविष्यवाणी
विनोद बिहारी महतो का सपना हुआ साकार
एक विश्वविद्यालय जो दिलाता है रोजगार
कोयलांचल की छाती से उठी यह पुकार
ज्ञान दो ,संस्कार दो बढ़ाओ मेरा आकार
कवयित्री सुधा राजस्वी मिश्रा
शोधार्थी विनोद बिहारी महतों कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद झारखंड
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