विनोद आनंद
य ह स्तब्ध करने वाली बात है कि पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ भारत की सीमित कार्रवाई के जवाब में न केवल अपनी बैलिस्टिक मिसाइल शाहीन का इस्तेमाल किया, बल्कि परमाणु हमले की धमकी भी दी। ऑपरेशन सिंदूर, जो स्पष्ट रूप से आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए चलाया गया था, उसके बाद पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया उसकी कायरता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाती है। भारत ने जिस संयम और परिपक्वता का परिचय देते हुए केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, उसके विपरीत पाकिस्तान ने सारी हदें पार करते हुए शाहीन-1 और शाहीन-2 जैसी मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत को अधिकतम नुकसान पहुंचाना था। हालांकि भारत ने उसे अपने एयर डिफेन्स से हवा में हीं नष्ट कर दिया, लेकिन इसके वाबजूद पाकिस्तान की यह गैर जवाबदेही कार्य विचलित करने वाली और यह सोचने वाली है की पाक को इतनी साहस आती कहाँ से है।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि शाहीन मिसाइल, खासकर शाहीन-2 जिसकी मारक क्षमता दिल्ली, भोपाल, जयपुर और नागपुर जैसे प्रमुख भारतीय शहरों तक है, इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखता है। पाकिस्तान का यह कदम स्पष्ट रूप से भारत को परमाणु हमले की धमकी देने का प्रयास था।
हमारे प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने पाक द्वारा ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग’ शब्द और उसके खतरनाक मंशा की ओर इशारा करते हुए विश्व समुदाय को आगाह किया है। और उसकी परमाणु बम को अंतराष्ट्रीय संस्था के निगरानी में लेने की मांग किया है!
आज पाकिस्तान में व्याप्त अराजक स्थिति और आतंकी संगठनों का बढ़ता प्रभाव इस खतरे को और भी गंभीर बना देता है। यह चिंताजनक है कि पाकिस्तान की सरकार पर आतंकियों का नियंत्रण बढ़ता जा रहा है और सेना प्रमुख के भी आतंकी गुटों से संबंध होने की खबरें हैं, जो उनके बयानों और हरकतों में स्पष्ट रूप से झलकती हैं। ऐसी स्थिति में, पाकिस्तान की सेना और आतंकी संगठन की मिली भगत से किसी भी छोटी बात पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेंगा।क्योंकि पाक में सरकार आतंकियों के पूरी तरह से प्रभाव में है. तभी तो जनता द्वारा चुने गए इमरान खान जेल में हैं.और वर्तमान सरकार किस तरह चल रही है यह बताने की जरूरत नहीं है.ऐसे हालत में पाक का परमाणु बम का इस्तेमाल भारत के बिरुद्ध होता है तो भारत को भी मजबूरन अपनी सुरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने पर विवश हो सकता है।
ऐसी स्थिति में, इस उपमहाद्वीप में व्यापक तबाही और बड़ी आबादी का विनाश निश्चित है। यह भी आशंका है कि कुछ बाहरी ताकतें पाकिस्तान को उकसा रही हैं, उसे गुमराह कर रही हैं और आर्थिक सहयोग के जाल में फंसा रही हैं, ताकि इस क्षेत्र में अस्थिरता बनी रहे।
इन गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तत्काल हस्तक्षेप करे। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की निगरानी में लेना समय की मांग हो गयी है । यह न केवल भारत बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान के गैर-जिम्मेदाराना रवैये और परमाणु हथियारों के गलत हाथों में पड़ने की संभावना को देखते हुए, विश्व समुदाय को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि एक संभावित परमाणु आपदा को टाला जा सके। भारत ने हमेशा शांति और स्थिरता का पक्षधर रहा है, लेकिन अपनी संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है।