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साहित्य, संस्कृति, कला

कहानीकार और कवयित्री सुरंजना पांडेय से राजीव कुमार झा की बातचीत

Byadmin

Sep 26, 2022
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साहित्य संवाद : साक्षात्कार

कहानीकार और कवयित्री सुरंजना पांडेय को साहित्य से प्रेम विरासत में अपने घर परिवार से मिला और एक कहानी संग्रह के अलावा इनका कविता संकलन भी प्रकाशित हुआ है.

प्रस्तुत है , राजीव कुमार झा के साथ इनकी संक्षिप्त और रोचक बातचीत !


प्रश्न – आपका लेखन से लगाव है ,
साहित्य सृजन की तरफ आपका
झुकाव कब और कैसे कायम हुआ ? इसके बारे में बताएं .

उत्तर – जी हां , बचपन से ही।
मेरे नाना जी श्री परमहंस शुक्ल पूर्वांचल के प्रसिद्ध कवि और लेखक रहे थे, उनके लिखे महाकाव्य ‘धनुर्जीवी’ का श्री मोतीलाल बोरा के द्वारा विमोचन किया गया था तो बचपन से ही साहित्य का माहौल मिला। मुझे अक्सर स्टेशन पर लगी बुकस्टाल में रखी किताबें बहुत आकर्षित करती थी कि मेरी भी लिखी किताब ऐसे किसी बुक स्टाल का हिस्सा बने। मैं कालेज टाइम में भी वाद -विवाद प्रतियोगिता और कई पत्रिकाओं में लिखती रही। दीप्ति पत्रिका में छपी मेरी रचना ‘नारी ईश्वर की श्रेष्ठ कृति है’ और ‘कटाक्ष’ बहुत सराही गयी थी। शादी के बाद मेरे पति डाॅ .सुशांत कुमार पांडेय ने मेरे इस लेखन के शौक को पूरा करने में सहयोग दिया और मेरे पूरे परिवार और मेरे बच्चों ने पूरा सहयोग किया।

प्रश्न – अपने साहित्य सृजन के बारे में बताएं ?

उत्तर – भावों की लहर यह मेरा कविता संग्रह है और कहानियां बोलती हैं , यह कहानी संग्रह है । शाश्वत प्रवाह , जीवनधारा, जीवन के रंग कविता के संग, अन्तर्मन के स्वर
के अलावा कई सांझा संग्रह और पत्र – पत्रिकाओं और समाचारपत्रों में समय – समय पर मेरी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं।

प्रश्न – लेखन की ओर कब और कैसे
रुझान कायम हुआ ?

उत्तर – जब मेरे कालेज स्तर पर लिखे लेख को काफी सराहना मिली और जब मुझे गोल्ड मेडल रंगमंच के वरिष्ठ कलाकार श्रीलाल कंकड़ जी द्वारा मिला , उस दिन हमारे कालेज में कवि सम्मेलन का भी कार्यक्रम था वो देख और सुन के मुझे एक जोश सा जगा कि मैं भी कुछ लिखूं जिसे सभी पढ़ें और सराहें।

प्रश्न -अपने प्रिय लेखकों – कवियों के
बारे में बताएं ?

उत्तर – मेरे पसंदीदा लेखक नागार्जुन हैं और उनकी लिखा उपन्यास ‘ नई पौध ‘ मुझे प्रिय है और इसके अलावा शिवानी की कहानियां और महादेवी वर्मा जी की लिखी रचनाएँ, ऊषा प्रियबंदा की लिखी पचपन खंभे लाल दीवारें, शरतचंद और प्रेमचंद , फणीश्वरनाथ रेणु जी और रामधारी सिंह दिनकर आदि की कृतियों ने मुझे प्रभावित किया है।

प्रश्न – आज के साहित्यिक परिवेश
को सोशल मीडिया खूब प्रभावित कर रहा है, इसके बारे में क्या कहना चाहेंगी ?

उत्तर – करोना काल के बाद एक नया ट्रेंड आनलाइन प्लेटफार्म पर कवि सम्मेलन आयोजित होने से सभी को कुछ ना कुछ लिखने का शौक रहा और कई सारे ऐप्स आने से और भी सुविधाजनक हुआ है। जी सच है,आजकल सोशल मीडिया का प्लेटफार्म सभी को तेजी से प्रभावित कर रहा है। पर जो भी लिखे सोचे मनन करे फिर लिखे।

प्रश्न – आप अपने घर परिवार के बारे में
बताइए ?

उत्तर – मैं उत्तर प्रदेश में पैदा हुई और शादी बिहार में हुई , मेरे पति डाॅ सुशांत पांडेय एक चिकित्सा पदाधिकारी हैं और मेरे दो बच्चे एक बेटा श्रेयांश कुमार पांडेय और बेटी सौम्या श्री पांडेय है। मेरे तीन भाई और एक ननद और एक देवर है मेरे ससुर वकील हैं मेरे पिताजी स्वतंत्रता सेनानी और रेलवे में वरिष्ठ वाणिज्य लिपिक थे, मां और सासु मां भी मेरी कुशल गृहिणी और मेरी अच्छी सपोर्टर रही है।
बताएं

प्रश्न – लेखन के अलावा आपकी अभिरुचि और किन कार्यों में है?

उत्तर – समाज सुधार से संबंधित सामाजिक कार्यों, घूमना, कुकिंग करना, कोट्स लिखना, मेंहदी और पेंटिंग करना और नई चीजों और नई नई जगहों के बारे में जानना सीखना आदि।

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