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साहित्य, संस्कृति, कला

कवि की भूमिका देश की आजादी से लेकर आज के बदलते परिवेश को नई -नई दशा और दिशा देने के साथ परंपरा, रीति ,रिवाज, संस्कृति और सभ्यता को संरक्षित और संवर्द्धित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है:-रामवृक्ष बहादुरपुरी

Byadmin

Oct 6, 2022
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साहित्य संवाद

कवि रामवृक्ष बहादुरपुरी उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर के निवासी हैं और अब तक इनके दो
काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं .
इनकी कविताओं में सामाजिक परिवेश के अलावा मनुष्य के अंतर्मन के सहज भावों का समावेश है . प्रस्तुत है इनसे राजीव कुमार झा की संक्षिप्त बातचीत ...


प्रश्न – समाज में कविता और कवि की भूमिका के बारे में बताएं?

उत्तर – कविता भावों, विचारों और अभिव्यक्तियों की प्रस्तुति की एक प्राचीन कला है जो समाज के विभिन्नताओं, रूढ़ियों और बुराइयों का सदा विरोध करते हुए अच्छाइयों ,सच्चाइयों व भलाईयों की प्रेरणा को संदर्भित करती रही है। कविता ने ही निर्जीवों में मनुष्यता को दिखा कर कल्पनाओं में प्रकृति को भी सजीव कर दिया है। नारियों की दुर्दशा, शोषण,जाति, धर्म, सामाजिक अस्पृश्यता आदि जैसे विभिन्न अनैतिक भिन्नताओं को कविता ने दुतकारते हुए सद्भाविक व्यवहार का सदा सम्मान किया है। आत्मा की भांति कविता को समझ पाना इतना सरल नहीं है।

कवि और कविता का सम्बन्ध तो वैसे है जैसे शरीर और आत्मा का। आदि काल से आज तक कवियों ने ही महान व्यक्तित्वों के कृतियों, विचारों ,आदर्शों और योग्यताओं को अपने भावों के बंधन में बांधकर भविष्य के लिए संजोए रखा है। कवि की भूमिका देश की आजादी से लेकर आज के बदलते परिवेश को नई -नई दशा और दिशा देने के साथ – साथ परंपरा, रीति ,रिवाज, संस्कृति और सभ्यता को संरक्षित और संवर्द्धित करने में महत्वपूर्ण रही है।

प्रश्न -हिंदी में आप अपने प्रिय कवियों के बारे में बताएं किसी कवि को काफी महान और श्रेष्ठ क्यों माना जाने लगता है?

उत्तर – कविता के भाव,तुक व लय के प्रवाह को तो हम बचपन से सुनते – पढ़ते आ रहे हैं ! इस प्रकार हमने तो बहुत सारे कवियों के विचारों को जाना – समझा और पढ़ा है जिसमें सबके अपने-अपने अलग-अलग विशिष्ट और उत्कृष्ट विचार होते हैं ! किसी के विचारों को नकारा नहीं जा सकता है। अलग-अलग वजहों से सभी कवि पसंद हैं, फिर भी स्वाभाविक रूप से कबीरदास जी मुझे ज्यादा पसंद हैं इसलिए कि उनके विचार सामाजिक और व्यावहारिक हैं जो आदिकाल से लेकर आज तक के समाज को एक नई दिशा और दशा देने का काम करता है लगभग आज तक हर कवियों के कविताओं में कबीर जी या तो आंतरिक रूप में या बाह्य रूप में देखने को मिल जाते हैं जिसमें कबीरदास जी के मानवता का संदेश समाहित मिलता है।

प्रश्न -आप अपने जीवन घर परिवार माता-पिता गांव शहर के बारे में बताएं

उत्तर – मेरा जन्म ग्राम बलुआ बहादुरपुर , पोस्ट – रुकनुद्दीनपुर जनपद – अंबेडकरनगर (उत्तर प्रदेश ) के एक साधारण परिवार में हुआ। मेरी मां एक आदर्श गृहिणी और पिता एक साधारण कृषक रहे हैं। मैं चार भाईयों में सबसे बड़ा हूं और पेशे से मैं एक अध्यापक (बेसिक शिक्षा) हूं। साथ – साथ कविता लेखन को मैं अपना एक धर्म समझता हूं और समाज के भ्रष्टाचारों व सामाजिक बुराईयों को आधार बनाकर सामाजिक चेतना को कविता के पंक्तियों में डाल कर समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास किया करता हूं।

प्रश्न – अंबेडकर नगर कहां है , आप इस जिले के ग्रामीण परिवेश के निवासी हैं अपने अंचल के जनजीवन और वहां की संस्कृति की कुछ उल्लेखनीय बातों के बारे में बताएं

उत्तर – अंबेडकरनगर जिला उत्तर प्रदेश का एक आदर्श जिला है . इस जनपद की पहचान खास रूप से यहां की शिक्षा है ! यहां के लोग ज्यादातर शिक्षित और व्यावहारिक हैं। गांव में आज भी खेतों में काम करती महिलाएं रोपाई जैसे गीत ,सावन की कजरी,व शुभ कार्यों पर गीत जैसे सोहर, वैवाहिक गीत आदि को गा गा कर खुश हैं और भारतीय परम्पराओं को
आदर्श मानते हैं। लोगों में सहयोग की भावना, प्रेम, अपनापन खूब झलकता है।

प्रश्न-कविता लेखन के अलावा अपनी रुचि के अन्य कार्यों के बारे में बताएं

उत्तर – कविता लेखन में बचपन से ही मेरी रुचि रही है किन्तु उस समय कविता को न लिख कर पारम्परिक गीत लिखा करता था और स्कूलों में गा कर सुनाता था !कई बार प्रोत्साहित भी किया जाता था। फिर यही रुचि आगे चलकर कविता लेखन की ओर ले गयी और आज मेरी कविताओं का दो संग्रह भी प्रकाशित है। मेरा पहला प्रकाशित काव्य संग्रह “मधुरिमा ” और दूसरा काव्य संग्रह “दो पल जीवन के” प्रकाशित हुआ है। मेरी तीसरी पुस्तक खण्ड काव्य “झांसी की झलकारी” जल्द ही प्रकाशित होने वाली है।
मैं एक अध्यापक हूं अध्ययन अध्यापन ही मेरा प्रमुख कार्य है। इसके अतिरिक्त मानवीय स्वभावानुसार लोगों से मिलना, सामाजिक कार्यों में समय बिताना तथा पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करना ही मेरी विशेष रुचि और कार्य रहे हैं।

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