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साहित्य, संस्कृति, कला

साक्षात्कार:- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई की कवयित्री और लेखिका डॉ पल्लवी सिंह अनुमेहा से पत्रकार राजीव कुमार झा की बातचीत!

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May 19, 2023
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 साक्षात्कार

 

साक्षत्कार कर्ता :-राजीव कुमार झा

परिचय

नाम-डॉ पल्लवी सिंह ,’अनुमेहा ‘

पिता का नाम-ठा. नरेन्द्र पाल सिंह पुंढीर,

माता का नाम -श्रीमती माधुरी लता सिंह,

जन्म तिथि-13 दिसम्बर,

शिक्षा-एम.ए. हिन्दी साहित्य,पी.एच.डी सम्प्रति-प्राचार्या, श्री गणेश महाविद्यालय ,मांडवी,जिला – बैतूल

प्रकाशित रचनायें-‘लोक साहित्य(खण्ड1) ,आस्था प्रकाशन,नागपुर,

‘कवि त्रिलोचन अनाहत शब्दों का पहरुआ’,आस्था प्रकाशन,नागपुर,

‘देहरी’ (मानविकी एवं समाजविज्ञान की शोध पत्रिका),राका प्रकाशन ,इलाहाबाद

,’आलोचना की रचना धर्मिता’,आस्था प्रकाशन नागपुर,’

हिन्दी साहित्य :नारी अंतर्द्वन्द्व’ जे.टी.,एस. प्रकाशन नई दिल्ली,

‘ लोक साहित्य एवं संस्कृति ‘ , जे. टी. एस. प्रकाशन, नई दिल्ली, ‘

भारतीय संस्कृति एवं साहित्य में मानव मूल्य’, जे. टी. एस. प्रकाशन, नई दिल्ली

‘ भारतीय इतिहास :साहित्य और संस्कृति’, जे.टी.एस. प्रकाशन,नई दिल्ली,’

आधुनिक हिन्दी कविता’,जे.टी.एस. प्रकाशन,नई दिल्ली में आलेख प्रकाशित,

श्री नर्मदा प्रकाशन के साझा काव्य संकलन

‘सृजन संगम’ , ‘अंतर्मन के भाव’, ‘भावों की रश्मियां’ में रचनायें प्रकाशित, ‘दीवान मेरा’ ‘नागपुर, की पत्रिका, ‘ब्रमवाहिनी’ बैतूल , से प्रकाशित पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित ,’लब्जों का कारवां ‘ कविता संग्रह में रचनायें प्रकाशित, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमीनारों में अपने आलेखों के द्वारा सहभागिता के साथ आलेखों का वाचन,एवम आलेख प्रकाशित। किन्नौर अब तक चैनल पर ऑनलाइन कविताओं का लगातार कविता पाठ, शब्दाक्षर केंद्रीय पटल दिल्ली पर ऑनलाइन कविता पाठ,।

साक्षात्कार -जनसरोकार मंच द्वारा लाइव साक्षात्कार। प्रकाशित पुस्तक * ‘उपन्यासों में संवेदना और शिल्प’ । * ‘उच्छ्वास की सांस ‘ कविता संग्रह प्रकाशन हेतु तैयार। * प्राप्त सम्मान-श्री दाताराम सरस्वती सम्मान (अखिल भारतीय साहित्य)

प्रश्न:-साहित्य के प्रति आप का रुझान कब और कैसे हुआ..?

उत्तर:- “बचपन से ही मेरा पूरा परिवेश साहित्य और संस्कृति से जुड़ा रहा। इस कारण मेरा रुझान साहित्य की ओर स्वभावत: कायम रहा है । साहित्य का संस्कार मुझे मेरे पिता से मिला है ।”

प्रश्न:- आप अपने घर परिवार के बारे में जानकारी दीजिए

उत्तर:- मेरी जन्मभूमि हरदा म.प्र. है । मेरे पिता का तबादला मुलताई जिला बैतूल में होने के कारण मेरी सम्पूर्ण शिक्षा मुलताई में ही हुई है। मेरे पिता साहित्यिक अभिरुचि वाले रहें है और माँ संस्कृति से जुड़ी हुई, तो यही दोनों का समागम मुझे एवं हमसब भाई-बहनों को मिला है।मेरे पिता शहर के प्रतिष्ठित स्कूल में हिंदी के व्याख्याता के पद से रिटायर हुए थे। और मेरी माँ संगीत में पारंगत रहीं । आज वो दोनों ही अनन्त सत्ता में विलीन है किंतु उनका आशीर्वाद सदैव हमारे साथ है। मैं वर्तमान में बैतूल जिले के आठनेर तहसील के गांव माण्डवी में श्री गणेश महाविद्यालय में प्राचार्या के पद पर कार्यरत हूँ।

प्रश्न:- आप मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की हैं। यहां के साहित्यिक परिवेश के बारे में बताएं।

उत्तर:- मध्यप्रदेश का बैतूल जिले को भौगोलिक दृष्टि से देखें तो यह भारत देश के केंद्र बिंदु है । यह सतपुड़ा के विध्यांचल में बसा हुआ प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण जिला है।यहां पर भगवान बालाजी का विशाल मंदिर है जो पांचवें धाम के रूप में जाना जाता है। यहाँ पर कई साहित्यिक गतिविधियां होती रहती हैं। अनेक साहित्यक संस्थाएं हैं जो समय- समय पर कवि सम्मेलन एवं संगीत से जुड़े हुए कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं । ताप्ती महोत्सव जैसे कार्यक्रम तीन – चार दिन के होते हैं । यह सम्पूर्ण जिला संस्कृति और साहित्य से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न:- हिंदी भारत में जनभाषा है । शुरू से इसमें रचित साहित्य का समाज से गहरा लगाव रहा है। हिंदी भाषा और साहित्य जनता को क्या संदेश देती है ?

उत्तर:- मेरी दृष्टि में हिंदी भाषा ही है जो अपने सीधे और सरल रूप से जनजीवन तक अपनी बात को उन तक पहुँचा पाती है।आज के संदर्भ में समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे – धीरे समाप्त होते जा रहे हैं ।ज्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिये रिश्ते निभाते हैं।अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से मिलते हैं तब साहित्यकारों की कलम ही है जो उन्हें उचित मार्गदर्शन देती है। क्योंकि साहित्य समाज की विविधता, जीवन शैली और लोक कलाओं का संरक्षण होता है। साहित्य समाज को स्वस्थ कलात्मक ज्ञानवर्धक मनोरंजन प्रदान करता है जिससे सामाजिक संस्कारों का परिष्कार होता है । यह कार्य एक रचनाकार की लेखनी से ही संभव है।

प्रश्न:- आपने मैत्रेयी पुष्पा के साहित्य पर शोधकार्य किया है। उनके साहित्यिक अवदान के बारे में बताएं।

उत्तर:- मेरे द्वारा मैत्रेयी पुष्पा का कथा साहित्य पर शोध कार्य किया गया है । एक नही उनके नौ उपन्यासों पर संवेदना और शिल्प पर कार्य करते हुए पीएचडी की उपाधि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा प्रदान की गई है। मेरी दृष्टि में मैत्रेयी पुष्पा ही एक ऐसी लेखिका रही हैं जिन्होंने ग्रामीण परिवेश के घोर यथार्थ को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है और वे इसमे सफल भी हुई हैं।आलोचनाओं का शिकार होने के बावजूद उन्होंने सत्य को समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया है। हिन्दी की बिंदास और बेबाक विचारों वाली लेखिका है। वे अपनी बात को एक सच्चाई के साथ लोगों तक पहुँचाती हैं। उन्होंने ग्रामीण स्त्री को अपने अधिकारों से परिचय कराया है। वे कहती हैं कि स्त्री की मुक्ति सिर्फ देह की मुक्ति नहीं है । उसके द्वारा वे औरतों में जागरूकता प्रदान करती दिखलाई देती हैं ।इसलिए उन्होंने स्त्री विमर्श पर कार्य ज्यादा किया है और समाज को उससे परिचित कराया है।

प्रश्न:- आप अपनी किसी प्रिय कविता के बारे में बताइए ।

उत्तर:- महादेवी वर्मा की कविता-
” जो तुम आ जाते एक बार” मेरी
प्रिय कविता है । यह इस प्रकार है।

जो तुम आ जाते एक बार कितनी करुणा कितने सन्देश पथ पर बिछ जाते बन पराग गाता प्राणों का तार-तार अनुराग भरा उन्माद
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार हँस उठते पल में आद्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखे देती सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।।

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2 thoughts on “साक्षात्कार:- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई की कवयित्री और लेखिका डॉ पल्लवी सिंह अनुमेहा से पत्रकार राजीव कुमार झा की बातचीत!”
  1. अंतर कथा पत्रिका में प्रकाशित मेरा साक्षात्कार देख कर मैं बहुत खुश हूं । अंतर कथा पत्रिका को साधुवाद।

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